कानपुर का शार्प शूटर रहा है इटावा जेल मे मारा गया मोनू पहाडी


 


 


शाम जिला जेल में दैनिक उपदेश टाइम्स इटावा सवाददात संवाददाता इटावा,2अप्रैल। उत्तर प्रदेश की इटावा जिला जेल में दो गुटों क के बीच संघर्ष के बीच मारा गया मोनू पहाडी कानपुर के शार्प शूटर रहा है इिटावा जेल के अधीक्षक राजकिशोर सिंह ने बताया कि विचाराधीन बंदी मोनू उर्फ राशन पहाड़ी उर्फ नासिर अली उर्फ मुन्ना मूलरूप से कानपुर के 91-99 दलेलपुरवा थाना अनवरगंज कल शाम जिला जेल में संघर्ष में मारा गया है जो साल 2016 को 7 अगस्त को कानपुर देहात से प्रशासनिक आधार पर जिला कारागार कानपुर देहात से स्थानांतरित होकर के जिला कारागार इटावा में दाखिल हुआ था साल 2006 में कानपर के अनवरगंज थाने में हत्या के मामले में नामजद किया गया 2006 में ही आर्स एक्ट के मामले में अनवरगंज थाने से मोनू पहाड़ी को जेल भेजा गया । इसी साल मोनू पहाड़ी की नामजदगी हत्या के प्रयास से जुड़े हुए मामले में भी अनवरगंज थाने में दर्शाई गई है । साल 12006 में ही मोनू पहाड़ी के खिलाफ अनवरगंज थाने में लूट का भी मामला दर्ज किया गया है साल 2010 में मोनू पहाड़ी के खिलाफ कानपुर नगर के थाना मूलगंज पुलिस ने यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई अमल में लाई है मोनू पहाड़ी पर हत्या के मामले समेत छह मामले दर्ज है । हत्या का यह मामला साल 2011 में कानपुर नगर के जूही थाना क्षेत्र के अंतर्गत दर्ज किया गया है ।जेल अधीक्षक राजकिशोर सिंह की ओर से जो जानकारी दी गई है उसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल को कारागार में हुए झगड़े में अन्य बंदियों के साथ साथ उक्त बंदी कारागार के अधिकारियों कर्मचारियों को भी चोट आई । बंदी को कारागार चिकित्सालय अधिकारी के परामर्श पर जिला अस्पताल इटावा भेजा गया । जहां बंदी को मृत घोषित कर दिया गया उन्होने बताया कि कानपुर पुलिस के माध्यम से उसके परिजनो को जानकारी दे दी गई ताकि वो पोस्टमार्टम के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए इटावा आये और शव को ले जाये कानपुर का शार्प शूटर मोनू पहाडी की मौत हो गई। एक मामले पर उसे सात साल की सजा भी हुई थी पुलिस के रिकार्ड में मोस्ट वांटेड मोनू पहाडी की हिस्ट्रीशीट 17 साल की उम्र में खुल गई थी। मोनू दलेलपुरवा अनवरगंज में रहता था। उसके पिता नासिर अली की रिक्शा कम्पनी थी। उसकी दो भाई नाजिम अली और आशू पुलिस के डर से मुंबई में रहते हैं। उसकी मां शहनाज बेगम घरेलू महिला है। उसकी तीन बहने गुलनाज बेगम, शहनाज और गौशिया अविवाहित है।नौबस्ता थाना क्षेत्र स्थित 20 अगस्त 2014 की दोपहर एसटीएफ ने मुठभेड के बाद उसे एक घर से दबोच लिया। मोनू के पास से एसटीएफ को 32 बोर की विदेशी पिस्टल व चार कारतूस मिले थे। मोनू कानपुर कारागार में बंद था। पर वह जेल के अंदर से गैंग का संवालन करता था। मानू ने एक चमडा कारोबारी से रंगदारी मांगी, जिसके चलते उसे माती जेल में शिफ्ट कर दिया गया ।मोनू पहाडी जब मात्र 17 साल का था, तब इसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। मोनू ने कुछ ही दिनों में अपना गैंग बना लिया था ।मोनू पहाडी दिनदहाडे मर्डर करता था, ताकि उसकी दहशत शहर में फैल जाए और उसको रंगदारी मिलने .' लगे। उसने सबसे पहले डीट गैंग के सरगना से सपारी लेकर हिस्टीशीटर लाला हडी को दिनदहाड़े गोली मार दी थी। फिर मूलगंज चैराहे में सरेआम हसीन टुण्डा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मोनू ने स्मैक तस्कर से सुपारी लेकर भरी बाजार में चैरसिया की हत्या की थी। इतना ही नहीं मोनू अपनी प्रेमिका और गैंग के एक साथी को जुही में दिनदहाड़े गोलियों से फून दिया था। इसी के बाद मोनू पर इनाम 50 हजार का रखा गया और शातिर को पकड़ने के लिए एसटीएफ को लगाया गया 16 साल की उम्र में मोनू * पहाडी को पुलिस ने मकान के विवाद में गिरफ्तार किया था। उसको बाल सुधार गृह में रखा गया था। जहां से वो कुछ दिनों बाद भाग गया और हिस्ट्रीशीटर इसरार पागल के साथ जुड गया। उसने इसरार पागल के तेवर और रसूख को देखकर उसी तरह का बडा अपराधी बनने का इरादा कर लिया। इसके बाद उसने पीछे मुड कर नहीं देखा। कुछ दिनों बाद इसरार शहर छोडकर गया, तो वो गैंग की कमान मोनू पहाडी को दे गया। बस यहीं से मोनू पहाडी अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। उसने जल्दी रुपए कमाने की हवस में सानू बॉस के साथ मिलकर भाडे में हत्या करने लगा।